Monday 27 October 2014

बैंगन

बैंगन

अगर आप भी उन्हीं लोगों में से एक है और बैंगन की सब्जी नहीं खाते हैं तो आज हम आपको अवगत करवाते हैं बैंगन के ऐसे गुणों से जिन्हें जानने के बाद आपकी गलतफहमी दूर हो जाएगी। वैसे बैंगन के रंग का प्रभाव भी उसके गुणों पर पड़ता है। विटामिन 'सी' की उपस्थिति बैंगन के छिलके के रंग पर निर्भर करती है। गहरे रंग के छिलके वाले बैंगन में अधिक विटामिन 'सी' रहता है जबकि हल्के रंग के छिलके वाले बैंगन में विटामिन 'सी'की मात्रा कम रहती है। वसा, प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट्स ये तीनों ही पोषक तत्व बैंगन में कम पाए जाते हैं।

100 ग्राम बैंगन में नीचे लिखे पोषक तत्व पाए जाते हैं प्रोटीन - 1.4 ग्राम वसा- 0.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स -4.0ग्राम कैल्शियम - 18 ग्राम फस्फोरस - 47 (मि. ग्राम) लौह तत्व - 0.38(मि.ग्राम) विटामिन सी - 12(मि.ग्राम) पोटेशियम - 20(मि.ग्राम) -मैग्नीशियम - 16(मि.ग्राम)।

कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करता है- बैंगन के सेवन से रक्त में बैंगन के सेवन से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर गिरता है। इस तरह के प्रभाव का प्रमुख कारण है। बैंगन में पोटेशियम व मैंगनीशियम की अधिकता। बैंगन की पत्तियों के रस का सेवन करने से भी रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम किया जा सकता है।इससे रक्त संचार सही रहता है।

रूखी त्वचा के लिए बैंगन- बैंगन स्किन को मॉइश्चर प्रदान करता है। इसीलिए अगर आपकी स्किन ड्राय या बाल ड्राय हो तो बैंगन जरूर खाएं। उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिये यही कारण है कि बैंगन उपयोगी माना जाता है।इसी कारण यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है और बैंगन का सेवन करने वालों को दिल की बीमारियों से बचाता है।

दांत के दर्द में- बैंगन का रस दांत के दर्द में लाभदायक प्रभाव दिखलाता है। बैंगन की पुल्टिस बनाकर फोड़ों पर बांधने से फोड़े जल्दी पक जाते हैं। अस्थमा के उपचार के लिये बैंगन की जड़ें प्रयुक्त की जाती हैं।बैंगन में फाइबर अधिक मात्रा में पाए जाते हैं इसीलिए इसे सेवन करने वालों को कब्ज नहीं होती है।

बादाम रोगन के फायदे


बादाम रोगन के फायदे ---

बोर्नविटा , कॉम्प्लान आदि पर हज़ारों रुपये खर्च करने की बजाये बादाम रोगन ख़रीदे।
- सोने से पूर्व आँखों के चारों ओर बादाम रोगन की हल्की-हल्की मालिश करने से चेहरे पर निखार आता है और झुर्रियां नहीं पड़ती।
- सिर की खुश्की मिटाने के लिए सिर पर बादाम रोगन की मालिश करें।
- बाल न झड़े, इसके लिए भी सिर पर बादाम रोगन की मालिश करते हैं।
- रात में गाय के गर्म दूध में से चम्मच बादाम रोगन दाल कर पिने से दिमाग तेज़ होता है।
- बादाम रोगन गरम दूध में डाल कर पिने से कब्ज दूर होती है।
- नाक में दो - दो बूंद बादाम रोगन रात में सोते वक्त डालने से आँखों की ज्योति तेज़ होती है।ये नस्य दिमाग भी तेज़ करता है।
- बादाम रोगन के नस्य से सिर दर्द दूर होता है।
- यदि सुनने की शक्ति कम होने का भय हो तो बादाम रोगन की एक-एक बूंद प्रतिदिन डालें।
- आंवले के रस के साथ बादाम तेल की मालिश बालों का झड़ना, असमय सफेद होना, पतला होना और डैंड्रफ रोक सकती है।दो-तीन बूंद बादाम रोगन व एक चम्मच शहद की मालिश रोमकूप खोल चेहरे पर चमक लाती है।
- इसका सेवन तनाव कम करता है।
- ये हार्ट के लिए लाभदायक है।
- सर्दियों में शरीर का तापमान बनाए रखता है।
- छोटे बच्चों के लिए लाभदायक है।
- वजन घटाने में मदद करता है।
- गर्दन में दर्द होने पर इससे मालिश करने पर ठीक हो जाता है।
- इसकी सिर में मालिश करने से नींद अच्छी आती है।

आयुर्वेदिक दोहे


आयुर्वेदिक दोहे---

तत्काल।।
3.पौदीना औ इलायची, लीजै दो-दो ग्राम। खायें उसे उबाल कर, उल्टी से आराम।।
4.छिलका लेंय इलायची,दो या तीन गिराम। सिर दर्द मुँह सूजना, लगा होय आराम।।
5.अण्डी पत्ता वृंत पर, चुना तनिक मिलाय। बार-बार तिल पर घिसे,तिल बाहर आ
जाय।।
6.गाजर का रस पीजिये, आवश्कतानुसार। सभी जगह उपलब्ध यह,दूर करे अतिसार।।
7.खट्टा दामिड़ रस, दही,गाजर शाक पकाय। दूर करेगा अर्श को,जो भी इसको खाय।।
8.रस अनार की कली का,नाक बूँद दो डाल। खून बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल।।
9.भून मुनक्का शुद्ध घी,सैंधा नमक मिलाय। चक्कर आना बंद हों,जो भी इसको खाय।।
10.मूली की शाखों का रस,ले निकाल सौ ग्राम। तीन बार दिन में पियें, पथरी से
आराम।।
11.दो चम्मच रस प्याज की,मिश्री सँग पी जाय। पथरी केवल बीस दिन,में गल बाहर
जाय।।
12.आधा कप अंगूर रस, केसर जरा मिलाय। पथरी से आराम हो, रोगी प्रतिदिन खाय।।
13.सदा करेला रस पिये,सुबहा हो औ शाम। दो चम्मच की मात्रा, पथरी से आराम।।
14.एक डेढ़ अनुपात कप, पालक रस चौलाइ। चीनी सँग लें बीस दिन,पथरी दे न दिखाइ।।
15.खीरे का रस लीजिये,कुछ दिन तीस ग्राम। लगातार सेवन करें, पथरी से आराम।।
16.बैगन भुर्ता बीज बिन,पन्द्रह दिन गर खाय। गल-गल करके आपकी,पथरी बाहर आय।।
17.लेकर कुलथी दाल को,पतली मगर बनाय। इसको नियमित खाय तो,पथरी बाहर आय।।
18.दामिड़(अनार) छिलका सुखाकर,पीसे चूर बनाय। सुबह-शाम जल डाल कम, पी मुँह
बदबू जाय।।
19. चूना घी और शहद को, ले सम भाग मिलाय। बिच्छू को विष दूर हो, इसको यदि
लगाय।।
20. गरम नीर को कीजिये, उसमें शहद मिलाय। तीन बार दिन लीजिये, तो जुकाम मिट
जाय।।
21. अदरक रस मधु(शहद) भाग सम, करें अगर उपयोग। दूर आपसे होयगा, कफ औ खाँसी
रोग।।
22. ताजे तुलसी-पत्र का, पीजे रस दस ग्राम। पेट दर्द से पायँगे, कुछ पल का
आराम।।
23.बहुत सहज उपचार है, यदि आग जल जाय। मींगी पीस कपास की, फौरन जले लगाय।।
24.रुई जलाकर भस्म कर, वहाँ करें भुरकाव। जल्दी ही आराम हो, होय जहाँ पर घाव।।
25.नीम-पत्र के चूर्ण मैं, अजवायन इक ग्राम। गुण संग पीजै पेट के, कीड़ों से
आराम।।
26.दो-दो चम्मच शहद औ, रस ले नीम का पात। रोग पीलिया दूर हो, उठे पिये जो
प्रात।।
27.मिश्री के संग पीजिये, रस ये पत्ते नीम। पेंचिश के ये रोग में, काम न कोई
हकीम।।
28.हरड बहेडा आँवला चौथी नीम गिलोय, पंचम जीरा डालकर सुमिरन काया होय॥
29.सावन में गुड खावै, सो मौहर बराबर पावै॥

जीवन का आधार ... आयुर्वेद


जीवन का आधार ... आयुर्वेद

WHO कहता है कि भारत में ज्यादा से ज्यादा केवल 350 दवाओं की आवश्यकता है | अधितम केवल 350 दवाओं की जरुरत है, और हमारे देश में बिक रही है 84000 दवाएं | यानी जिन दवाओं कि जरूरत ही नहीं है वो डॉक्टर हमे खिलते है क्यों कि जितनी ज्यादा दवाए बिकेगी डॉक्टर का कमिसन उतना ही बढेगा|

एक बात साफ़ तौर पर साबित होती है कि भारत में एलोपेथी का इलाज कारगर नहीं हुवा है | एलोपेथी का इलाज सफल नहीं हो पाया है| इतना पैसा खर्च करने के बाद भी बीमारियाँ कम नहीं हुई बल्कि और बढ़ गई है | यानी हम बीमारी को ठीक करने के लिए जो एलोपेथी दवा खाते है उससे और नई तरह की बीमारियाँ सामने आने लगी है |

ये दवा कंपनिया बहुत बड़ा कमिसन देती है डॉक्टर को| यानी डॉक्टर कमिशनखोर हो गए है या यूँ कहे की डॉक्टर दवा कम्पनियों के एजेंट हो गए है|

सारांस के रूप में हम कहे कि मौत का खुला व्यापार धड़ल्ले से पूरे भारत में चल रहा है तो कोई गलत नहीं होगा|

फिर सवाल आता है कि अगर इन एलोपेथी दवाओं का सहारा न लिया जाये तो क्या करे ? इन बामारियों से कैसे निपटा जाये ?

........... तो इसका एक ही जवाब है आयुर्वेद |

एलोपेथी के मुकाबले आयुर्वेद श्रेष्ठ क्यों है ? :-

(1) पहली बात आयुर्वेद की दवाएं किसी भी बीमारी को जड़ से समाप्त करती है, जबकि एलोपेथी की दवाएं किसी भी बीमारी को केवल कंट्रोल में रखती है|
(2) दूसरा सबसे बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का इलाज लाखों वर्षो पुराना है, जबकि एलोपेथी दवाओं की खोज कुछ शताब्दियों पहले हुवा |
(3) तीसरा सबसे बड़ा कारण है कि आयुर्वेद की दवाएं घर में, पड़ोस में या नजदीकी जंगल में आसानी से उपलब्ध हो जाती है, जबकि एलोपेथी दवाएं ऐसी है कि आप गाँव में रहते हो तो आपको कई किलोमीटर चलकर शहर आना पड़ेगा और डॉक्टर से लिखवाना पड़ेगा |
(4) चौथा कारण है कि ये आयुर्वेदिक दवाएं बहुत ही सस्ती है या कहे कि मुफ्त की है, जबकि एलोपेथी दवाओं कि कीमत बहुत ज्यादा है| एक अनुमान के मुताबिक एक आदमी की जिंदगी की कमाई का लगभग 40% हिस्सा बीमारी और इलाज में ही खर्च होता है|
(5) पांचवा कारण है कि आयुर्वेदिक दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है, जबकि एलोपेथी दवा को एक बीमारी में इस्तेमाल करो तो उसके साथ दूसरी बीमारी अपनी जड़े मजबूत करने लगती है|
(6) छटा कारण है कि आयुर्वेद में सिद्धांत है कि इंसान कभी बीमार ही न हो | और इसके छोटे छोटे उपाय है जो बहुत ही आसान है | जिनका उपयोग करके स्वस्थ रहा जा सकता है | जबकि एलोपेथी के पास इसका कोई सिद्दांत नहीं है|
(7) सातवा बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का 85% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए है और केवल 15% हिस्सा में आयुर्वेदिक दवाइयां आती है, जबकि एलोपेथी का 15% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए है और 85% हिस्सा इलाज के लिए है |

अतिबला (खरैटी)


अतिबला (खरैटी)

Country Mallow से उपचार

विभिन्न भाषाओं में नाम :
संस्कृत वला, वाट्यालिका, वाट्या, वाट्यालक
हिंदी खरैटी, वरयारी, वरियार
बंगाली श्वेतवेडेला
मराठी लघुचिकणा, खिरहंटी
गुजराती खपाट बलदाना
तेलगू मुपिढी
लैटिन सिडकार्सि फोलिया
अंग्रेजी हॉर्नडिएमव्ड सिडा

गुण : चारों प्रकार की अतिबला शीतल, मधुर, बलकारक तथा चेहरे पर चमक लाने वाली, चिकनी, भारी (ग्राही), खून की खराबी तथा टी.बी. के रोगों को दूर करने में सहायक है।

विभिन्न रोगों में अतिबला (खरैटी) से उपचार:

1 पेशाब का बार-बार आना : : - खरैटी की जड़ की छाल का चूर्ण यदि चीनी के साथ सेवन करें तो पेशाब के बार-बार आने की बीमारी से छुटकारा मिलता है।

2 प्रमेह (वीर्य प्रमेह) :: - अतिबला के बारीक चूर्ण को यदि दूध और मिश्री के साथ सेवन किया जाए तो यह प्रमेह को नष्ट करती है। महावला मूत्रकृच्छू को नष्ट करती है।

3 गीली खांसी :: - अतिबला, कंटकारी, बृहती, वासा (अड़ूसा) के पत्ते और अंगूर को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लेते हैं। इसे 14 से 28 मिलीमीटर की मात्रा में 5 ग्राम शर्करा के साथ मिलाकर दिन में दो बार लेने से गीली खांसी ठीक हो जाती है।

4 सीने में घाव (उर:क्षत) :: - बलामूल का चूर्ण, अश्वगंधा, शतावरी, पुनर्नवा और गंभारी का फल समान मात्रा में लेकर चूर्ण तैयार लेते हैं। इसे 1 से 3 ग्राम की मात्रा में 100 से 250 मिलीलीटर दूध के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से उर:क्षत नष्ट हो जाता है।

5 मलाशय का गिरना :: - अतिबला (खिरेंटी) की पत्तियों को एरंडी के तेल में भूनकर मलाशय पर रखकर पट्टी बांध दें।

6 बांझपन दूर करना :: - अतिबला के साथ नागकेसर को पीसकर ऋतुस्नान (मासिक-धर्म) के बाद, दूध के साथ सेवन करने से लम्बी आयु वाला (दीर्घजीवी) पुत्र उत्पन्न होता है।

7 मसूढ़ों की सूजन :: - अतिबला (कंघी) के पत्तों का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 3 से 4 बार कुल्ला करें। रोजाना प्रयोग करने से मसूढ़ों की सूजन व मसूढ़ों का ढीलापन खत्म होता है।

8 नपुंसकता (नामर्दी) :: - अतिबला के बीज 4 से 8 ग्राम सुबह-शाम मिश्री मिले गर्म दूध के साथ खाने से नामर्दी में पूरा लाभ होता है।

9 दस्त :: - अतिबला (कंघी) के पत्तों को देशी घी में मिलाकर दिन में 2 बार पीने से पित्त के उत्पन्न दस्त में लाभ होता है।

10 पेशाब के साथ खून आना :: - अतिबला की जड़ का काढ़ा 40 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम पीने से पेशाब में खून का आना बंद हो जाता है।

11 बवासीर :: - अतिबला (कंघी) के पत्तों को पानी में उबालकर उसे अच्छी तरह से मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में उचित मात्रा में ताड़ का गुड़ मिलाकर पीयें। इससे बवासीर में लाभ होता है।

12 रक्तप्रदर :: - *खिरैंटी और कुशा की जड़ के चूर्ण को चावलों के साथ पीने से रक्तप्रदर में फायदा होता है।
*खिरेंटी के जड़ का मिश्रण (कल्क) बनाकर उसे दूध में डालकर गर्म करके पीने से रक्त प्रदर में लाभ होता है।
*रक्तप्रदर में अतिबला (कंघी) की जड़ का चूर्ण 6 ग्राम से 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम चीनी और शहद के साथ देने से लाभ मिलता है।
*अतिबला की जड़ का चूर्ण 1-3 ग्राम, 100-250 मिलीलीटर दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर में लाभ मिलता है।"

13 श्वेतप्रदर : : - *अतिबला की जड़ को पीसकर चूर्ण बनाकर शहद के साथ 3 ग्राम की मात्रा में दूध में मिलाकर सेवन करने से श्वेतप्रदर में लाभ प्राप्त होता है।
*खिरैटी की जड़ की राख दूध के साथ देने से प्रदर में आराम मिलता है।"

14 दर्द व सूजन में :: - दर्द भरे स्थानों पर अतिबला से सेंकना फायदेमंद होता है।

15 पित्त ज्वर :: - खिरेटी की जड़ का शर्बत बनाकर पीने से बुखार की गर्मी और घबराहट दूर हो जाती है।

16 रुका हुआ मासिक-धर्म :: - खिरैटी, चीनी, मुलहठी, बड़ के अंकुर, नागकेसर, पीले फूल की कटेरी की जड़ की छाल इनको दूध में पीसकर घी और शहद मिलाकर कम से कम 15 दिनों तक लगातार पिलाना चाहिए। इससे मासिकस्राव (रजोदर्शन) आने लगता है।

17 पेट में दर्द होने पर :: - खिरैंटी, पृश्नपर्णी, कटेरी, लाख और सोंठ को मिलाकर दूध के साथ पीने से `पित्तोदर´ यानी पित्त के कारण होने वाले पेट के दर्द में लाभ होगा।

18 मूत्ररोग :: - *अतिबला के पत्तों या जड़ का काढ़ा लेने से मूत्रकृच्छ (सुजाक) रोग दूर होता है। सुबह-शाम 40 मिलीलीटर लें। इसके बीज अगर 4 से 8 ग्राम रोज लें तो लाभ होता है।
*खिरैटी के पत्ते घोटकर छान लें, इसमें मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब खुलकर आता है।
*खिरैटी के बीजों के चूर्ण में मिश्री मिलाकर दूध के साथ लेने से मूत्रकृच्छ मिट जाती है।"

19 फोड़ा (सिर का फोड़ा) : : - अतिबला या कंघी के फूलों और पत्तों का लेप फोड़ों पर करने से लाभ मिलता है।

20 शरीर को शक्तिशाली बनाना : : - *शरीर में कम ताकत होने पर खिरैंटी के बीजों को पकाकर खाने से शरीर में ताकत बढ़ जाती है।
*खिरैंटी की जड़ की छाल को पीसकर दूध में उबालें। इसमें घी मिलाकर पीने से शरीर में शक्ति का विकास होता है।"..........

अनार


अनार

अनार के छिलकों में होता है जादू सा असर, खाने से ठीक हो जाते हैं ये रोग ---

अनार का हर एक छोटा दाना कई गुणों से भरपूर होता है। अनार सौ बीमारियों की एक दवा है। इसका रस अगर कपड़ों पर लग जाएं तो यह असानी नही छूटता। मगर अनार खाकर आप अपनी कई बिमारियों को दूर कर सकते हैं।अनार कई रोगों में गुणकारी है।

- अनार पित्तनाशक, कृमि का नाश करने वाला, पेट रोगों के लिए हितकारी तथा घबराहट को दूर करने वाला होता है।- अनार स्वरतंत्र, फेफड़े, यकृत, दिल, आमाशय तथा आंतों के रोगों पर काफी लाभकारी है। अनार में एंटीऑक्सिडेंट, एंटीवायरल और एंटी-ट्यूमर जैसे तत्व पाये जाते हैं। अनार विटामिन्स का एक अच्छा स्रोत है। इसमें विटामिन ए, सी और ई भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

- अनार दिल के रोगों से लेकर पेट की गड़बड़ी और मधुमेह जैसे रोगों में फायदेमंद होता है। अनार का छिलका, छाल और पत्तियों को लेने से पेट दर्द में राहत मिलती है। पाचन तंत्र के सभी समस्याओं के निदान में अनार कारगर है।अनार में लोहा की भरपूर मात्रा होती है, जो रक्त में आयरन की कमी को पूरा करता है। सूखे अनार के छिलकों का चूर्ण दिन में 2-3 बार एक-एक चम्मच ताजा पानी के साथ लेने से बार-बार पेशाब आने की समस्या ठीक हो जाती है।

- अनार की पत्तियों की चाय बनाकर पीने से पाचन संबंधी समस्याओं में भी बहुत आराम मिलता है। दस्त और कॉलरा जैसी बीमारियों में अनार का जूस पीने से राहत मिलती है। मधुमेह के रोगियों को अनार खाने की सलाह दी जाती है इससे कॉरोनरी रोगों का खतरा कम होता है।

अनार के छिलकों को पानी में उबालकर, उससे कुल्ला करने से सांस की बदबू समाप्त हो जाती है।अनार के छिलकों के चूर्ण का सुबह-शाम एक-एक चम्मच सेवन करने से बवासीर ठीक हो जाता है। खांसी में अनार के छिलके को मुंह में रखकर उसे धीरे धीरे चूसना शुरू कर दें।

आक , आकडा , मदार

आक , आकडा , मदार

_ इसे हम शिवजी को चढाते है ; अर्थात ये ज़हरीला होता है . इसलिए इसे निश्चित मात्रा में वैद्य की देख रेख में लेना चाहिए .पर कुछ आसान प्रयोग आप कर सकते है -
_ अगर किसी को चलती गाडी में उलटी आती हो ( motion sickness ) तो यात्रा पर निकलते समय जो स्वर चल रहा हो अर्थात जिस तरफ की श्वास ज़्यादा चल रही हो उस पैर के नीचे आक के पत्ते रखे . यात्रा के दौरान कोई तकलीफ नहीं होगी . _ आक के पीले पड़े पत्तों को घी में गर्म कर उसका रस कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है .
_ आक का दूध कभी भी सीधे आँखों पर नहीं लगाना चाहिए . अगर दाई आँख दुःख रही हो तो बाए पैर के नाख़ून और बाई आँख दुःख रही हो तो दाए पैर के नाखूनों को आक के दूध से तर कर दे .
_ रुई को आक के दूध और थोड़े से घी में भिगोकर दांत में रखने से दांतों का दर्द ठीक हो जाता है .
_ हिलते हुए दांत पर आक का दूध लगाकर आसानी से निकाला जा सकता है .
_ पीले पड़े आक के पत्तों के रस का नस्य लेने से आधा शीशी में लाभ होता है . _ आक की कोपल को सुबह खाली पेट पान के पत्ते में रख चबा कर खाने से ३ से 5 दिनों में पीलिया ठीक हो जाता है .
_ सफ़ेद आक की छाया में सुखी जड़ को पीस कर १-२ ग्राम की मात्रा गाय के दूध के साथ लेने से बाँझपन ठीक होता है . बंद ट्यूब और नाड़ियाँ खुल जाती है ; मासिक धर्म गर्भाशय की गांठों में लाभ होता है .
_ पैरों के छाले इसका दूध लगाने से ठीक हो जाते है .
_ गठिया में आक के पत्तों को घी लगा कर तवे पर गर्म कर सेकें .
_ आक की रुई को वस्त्रों में भर , रजाई तकिये में इस्तेमाल करने से वात रोगों में लाभ मिलता है .
_ कोई घाव अगर भर ना रहा हो तो आक की रुई उसमे भर दे और रोज़ बदल दे . _ आक के दूध में सामान मात्रा में शहद मिला कर लगाने से दाद में लाभ होता है .आक की जड़ के चूर्ण को दही में मिलाकर लगाना भी दाद में लाभकारी होता है .
_ आक के पुष्प तोड़ने पर जो दूध निकलता है उसे नारियल तेल में मिलाकर लगाने से खाज दूर होती है .इसके दूध को कडवे तेल में मिलाकर लगाने से भी लाभ होता है .
_ इसके पत्तों को सुखाकर उसकी पावडर जख्मों पर बुरकने से दूषित मांस दूर हो कर स्वस्थ मांस पैदा होता है .
_ आक की मिटटी की टिकिया कीड़े पड़े हुए जख्मों पर बाँधने से कीड़े टिकिया पर आ कर मर जाते है और जख्म धीरे धीरे ठीक हो जाता है .
_ आक के दूध के शहद के साथ सेवन करने से कुष्ठ रोग थी होता है .आक के पुष्पों का चूर्ण भी इसमें लाभकारी है . _ पेट में दर्द होने पर आक के पत्तों पर घी लगा कर गर्म कर सेके .
_ स्थावर विष पर २-३ ग्राम आक की जड़ को घिस कर दिन में ३-४ बार पिलाए .आक की लकड़ी का 6 ग्राम कोयला मिश्री के साथ लेने से शारीर में जमा पारा भी पेशाब के रास्ते निकल जाता है .
_ आक और भी कई रोगों का इलाज करता है पर ये योग वैद्य की सलाह से ही लेने चाहिए .
_ इसके अर्क प्रयोग से होने वाले हानिकारक प्रभाव को कम करने के लिए दूध और घी का प्रयोग करें

टमाटर खाइए सेहत बनाइए


टमाटर खाइए सेहत बनाइए

टमाटर है हेल्थ का डॉक्टर, इसे खाने के हैं ये 5 जबरदस्त BENIFITS

टमाटर खाइए सेहत बनाइए। जी हां टमाटर कोई साधारण सब्जी नहीं बल्कि हेल्थ का डॉक्टर है। टमाटर में प्रोटीन, विटामिन, वसा आदि तत्व विद्यमान होते हैं। यह सेवफल व संतरा दोनों के गुणों से युक्त होता है। कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है इसके अलावा भी टमाटर खाने से कई लाभ होते हैं। पौष्टिक तत्वों से भरपूर टमाटर यूं तो हर मौसम में फायदेमंद है, लेकिन इसमें मौजूद विटामिन ए और सी इसकी उपयोगिता को और महत्वपूर्ण बना देते हैं।

आप चाहे इसे सब्जी में डालें या सलाद के रूप में या किसी और रूप में, यह आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा। इसमें लोह तत्व की मात्रा दूध की अपेक्षा दुगुनी और अण्डे की अपेक्षा पांच गुनी होती है।

विटामिन ए, बी, सी, के अतिरिक्त इसमें पोटाश, सोडियम चूना, व तांबा भी पाए जाते हैं। लोह तत्व की दृष्टि से अन्य सभी फलों में सर्वश्रेष्ठ होता है। खून की कमी दूर कर शरीर को पुष्ट, सुडौल, और फुर्तीला रखने के लिए इसका सेवन उत्तम है।आइए, जानें टमाटर के फायदे

माना जाता है कि टमाटर इतने पौष्टिक होते हैं कि सुबह नाश्ते में केवल दो टमाटर संपूर्ण भोजन के बराबर होते हैं इनसे आपके वजन में जरा भी वृद्धि नहीं होगी इसके साथ-साथ यह पूरे शरीर के छोटे-मोटे विकारों को दूर करता है इसमें लोह तत्व की मात्रा दूध की अपेक्षा दुगुनी और अण्डे की अपेक्षा पांच गुनी होती है। विटामिन ए, बी, सी, के अतिरिक्त इसमें पोटाश, सोडियम चूना, व तांबा भी पाए जाते हैं। लोह तत्व की दृष्टि से अन्य सभी फलों में सर्वश्रेष्ठ होता है। खून की कमी दूर कर शरीर को पुष्ट, सुडौल, और फुर्तीला रखने के लिए इसका सेवन उत्तम है।

दस्त साफ और दांत व मसुड़ों की खराबी व कमजोरी दूर करने और शरीर की निर्बलता दूर करने के लिए इसका नियमित सेवन किया जाना चाहिए। बच्चों में सूखारोग को दूर करने के लिए पके लाल टमाटर का रस ही बच्चों को पिलाना बहुत लाभदायक है। सुबह खाली पेट पके हुए 3-4 टमाटर कच्चे ही खाना या इनका रस पीना और बाद में एक घंटे तक कुछ ना खाना पीना इसे सेवन करने का अच्छा तरीका है। खाने से पहले पके लाल टमाटर काटकर इन पर सेंधा नमक व कालीमिर्च बारीक कतरी हुई अदरक के साथ लें फिर भोजन करें। इसके नियमित सेवन से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।

पेट के रोग, मूत्र विकार, मधुमेह और आंखों की कमजोरी आदि रोग टमाटर के सेवन से दूर होते हैं। छोटे बच्चों को टमाटर का रस अवश्य पिलाना चाहिए ताकि उनके शरीर का पूरा विकास हो सके। गर्भवती स्त्री और बूढ़े लोगों को भी नियमित सुबह सेवन करना टानिक का काम करेगा।

टमाटर के गूदे में दूध व नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे पर चमक आती है। टमाटर जवां दिखेंगे यह झुर्रियों को कम करता है और रोम छिद्रों को बड़ा करता है। इसके लिए टमाटर और शहद के मिश्रण वाला फेस पैक इस्तेमाल करें। टमाटर के छिलके और बीज को निकाल दें। टमाटर सिर्फ एक सब्जी नहीं बल्कि ये अपने आप में एक संपूर्ण औषधी है आइए जाने कैसे? इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। टमाटर से पाचन शक्ति बढ़ती है।